राष्ट्रीय पाठय चर्या की रुपरेखा 2005 के महत्वपूर्ण बिंदु NCF 2005 IMPORTENT POINT

. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया मुख्य रूप से पाठ्यक्रम पर निर्भर है।

मुख्य सूत्र है- learning without burden (शिक्षा बिना बोझ के)

कक्षा-1 तथा कक्षा-2 के विद्यार्थियों के लिए मूल्यांकन का तरीका प्रेक्षण के आधार पर होना. चाहिए।पर्यावरणीय शिक्षा को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

.बाल केन्द्रित को महत्त्वपूर्ण स्थान छात्रों के सर्वांगीण विकास पर बल शिक्षा को व्यवसायोन्मुखी बनाने का प्रयास समावेशी वातावरण पर बल। ‘करके सीखने’ पर बल

.निरन्तर एवं व्यापक प्रणाली (CCE) की व्यवस्था साहचार्यत्मक अधिगम पर बल

.शिक्षण सूत्र ज्ञात से अज्ञात की ओर एवं मूर्त से अमूर्त का प्रयोग हो

.बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किया जाये। o

.प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य

.समस्या समाधान के लिए कौशल (Skill) विकास करना।

.तर्क संगत विचार को प्रोत्साहित करना।

.गणित को बच्चों के दैनिक जिंदगी से जोड़ कर बताना।

.हस्तशिल्प एक उत्पादन प्रक्रिया है जो समावेशी शिक्षा में अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो।

Learning without burden

 1.NCF 2005 के कुछ महत्वपूर्ण  सिद्धांत है

 1. ज्ञान को स्कुल के बाहर जीवन से जोड़ना 

2. रटन्त प्रणाली से मुक्ति

3. पाठयचर्या, पाठ्य-पुस्तक केन्द्रित रह न जाये

4. परीक्षा को लचीला बनाया जाए और कक्षा के गतिविधि से जोड़ जाए।

5. राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थी तैयारी हों।

 .परियोजना कार्य व पुस्तकालय के प्रति रुचि उत्पन्न किया जाये।

 स्वली चिन्तन (Autistic Thinking): वैसे चिन्तन को कहा जाता है जिसमें व्यक्ति अपने काल्पनिक विचारों एवं इच्छाओं की अभिव्यक्ति करता है।

 यर्थाथवादी चिन्तन (Realistic thinking): यथार्थवादी चिन्तन वैसे चिन्तन को कहा जाता है जिसका संबंध वास्तविकता से होता है और उसके प्रयोग द्वारा समस्या का हल कर पाते हैं।

 1. अभिसासी चिन्तन (Convergent thinking): इस चिन्तन को निगमनात्मक चिन्तन भी कहते हैं। इसमें व्यक्ति दिए गए तथ्यों के आधार पर सही निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करता है। इसमें व्यक्ति अपने अनभवों का भी इस्तेमाल करता है।

 2. सृर्जनात्मक चिन्तन (Creative thinking): इस तरह के चिंतन को आगमनात्मक चिन्तन भी कहते हैं। इसमें दिए गए तथ्यों में अपनी ओर से कुछ नया जोड़कर समस्या कासमाधान किया जाता है या किसी निष्कर्ष पर पहुँचता है

3. आलोचनात्क चिन्तन (Evaluativethinking): इसमें किसी वस्तु, तथ्य, घटनाया किसी अन्य चीज को गुण-दोष के आधार पर परखता है। चिन्तन के साधनः प्रतिमा (images), भाषा (lenguages), संप्रत्यय (Concept), proposition (प्रतिज्ञप्ति)।

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