NCF 2005 National curriculum framework 2005 ( राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 )

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा 2005 के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य नीचे दिए गए हैं। प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा बच्चो की बहुत सारी खोज करने की प्रवृत्ति कौशल, एवं अवधारणाओ को विकसित करने के लिए आवश्यक है। National curriculum framework 2005

NCF 2005
NCF 2005 National curriculum framework 2005 राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा 2005 के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य।

1. प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन बच्चों के परिवेश, समाज और उनके निजी जीवन में घटी घटनाओं का अध्ययन है।

2. इसमें बच्चों के सामाजिक घटक सांस्कृतिक और भाषा मूल्य दर्शन आज शामिल हैं।

3. प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तकों में। अंत में, अभ्यास, प्रश्न और गतिविधि आधारित प्रश्नों को शामिल करना चाहिए।

4. बच्चे अपने आसपास के परिवेश, माहौल आदि की चर्चा करते हैं तो एक पर्यावरण शिक्षक के रूप में उनके दृष्टिकोण को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें सम्मान देना चाहिए।

5. एनसीएफ 2005 के अनुसार बच्चों को शिक्षा देते वक्त उनके वास्तविक जीवन को जोड़कर उनकी पाठ पुस्तक से शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।

6. एनसीएफ 2005 के अनुसार। बच्चों के अवलोकन से प्राप्त ज्ञान उनकी पाठ्यपुस्तक से प्राप्त ज्ञान से उच्च होना चाहिए।

7. NCF 2005 के अनुसार बच्चों को वर्ग पहेली वाले सवाल देने चाहिए, जिससे उनकी तर्क शक्ति का विकास हो सके।

8. एनसीएफ 2005 में छात्रों को करके सीखने पर बल दिया जाना चाहिए।

9. एनसीएफ 2005 में एक शिक्षक के रूप में छात्रों को हमेशा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उनके अनुभवों को स्वीकार करना चाहिए तथा उनकी गलतियों को सुधारने की मौके देने चाहिए।

10. एनसीएफ 2005 के अनुसार एक पर्यावरण अध्ययन की क्लास को शुरू करते वक्त एक अध्यापक को छात्रों से उनके पूर्व ज्ञान पर आधारित प्रश्नों को पूछना चाहिए। इसके लिए अध्यापक को ज्ञात से अज्ञात की ओर वाले सवाल पूछे जाने चाहिए। जिससे छात्रों में उस विषय को लेकर दिलचस्पी पैदा हो सके।

11. एनसीएफ 2005 में एक अध्यापक को छात्रों के व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित प्रश्नों को पूछना चाहिए जिससे कि छात्र हमेशा सक्रिय बने रहे और उनमें सीखने की प्रवृत्ति का प्रबल विकास हो सके।

12. एनसीएफ 2005 के अनुसार अध्यापक को प्राथमिक स्तर पर कभी भी अमूर्त रूप से जुड़े हुए सवालों को नहीं पूछना चाहिए। अमूर्त रूप से जुड़े हुए सवाल। उच्च शिक्षण नीती के अंतर्गत आते हैं, यह उच्च कक्षाओं के लिए ज्यादा अच्छी मानी जाती है।

पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा और उसके क्षेत्र के बारे में।

पर्यावरण अध्ययन के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या समिति ने 1975 में। एक समिति का गठन किया था और उसमें उन्होंने बताया था कि। पर्यावरण अध्ययन प्राथमिक स्तर पर भी पढ़ाया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने एक।रूपरेखा तैयार की थी।

  1. पहले पर्यावरण अध्ययन को एकल विषय के रूप में पढ़ाया जाना सुनिश्चित किया गया था।
  2. राष्ट्रीय शिक्षा नीती 1986 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 1988 में भी प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन शिक्षण का कार्य के लिए इसी दृष्टिकोण को अपनाया गया। यह प्रस्तुत किया गया।
  3. एनसीएफ 2000 में यह सिफारिश की गई कि पर्यावरण अध्ययन को बढ़ाने के लिए एकीकृत पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाए। इसके लिए विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषय को अलग से न पढ़ाकर इसको पर्यावरण में ही शामिल कर दिया जाए।
  4. एनसीएफ 2005 में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया और उसमें बताया गया कि आगे की शिक्षा पर्यावरण की इसी रुप में दी जाए। सामाजिक विज्ञान और विज्ञान विषय को अलग से ना पढ़ाया जाए। साथ ही यह भी सिफारिश की गई कि। पर्यावरण की शिक्षा छात्रों के लिए आवश्यक है और इसका प्राथमिक स्तर पर शिक्षण कार्य निरंतर किया जाए।
  5. एनसीएफ 2000 में पहली बार यह सुझाव दिया गया है कि विभिन्न विचार और उनकी अवधारणाओँ को एकीकृत विषय के रूप में पढ़ाया जाए, जैसे भारत की संस्कृति और उसकी विरासत, पर्यावरण की सुरक्षा, परिवार कानून, साक्षरता, मानव मूल्य आदि।

एनसीएफ 2000 में पहली बार पर्यावरण अध्ययन को सामाजिक अध्ययन और विज्ञान के रूप में अलग अलग करके एकीकृत रूप में पढ़ाने के लिए सिफारिश की गई। इसके अनुसार निम्न चरण दिए गए।

  • एनसीएफ 2000 में कक्षा एक और दो के पाठ्यक्रम में। पर्यावरण को भाषा और गणित विषयों के साथ एकीकृत करके पढ़ाया जाने को कहा गया। और इसकी अलग से किताब या सिलेबस नहीं बनाने की सिफारिश की गई।
  • एनसीएफ 2000 में। कच्चा तीन से ऊपर के छात्रों के लिए पर्यावरण विषय को शामिल किया गया और उसकी पढ़ाने की सिफारिश की गई।

एनसीएफ 2005 राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005

  • एनसीएफ 2005 में प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को बढ़ाने पर बल दिया गया।
  • एनसीएफ 2005 में बच्चा एक और दो में पर्यावरण अध्ययन की जगह भाषा और गणित के माध्यम से शिक्षण कार्य शुरू किया गया।
  • यह सिर्फ 2005 में तीन से लेकर ऊपर की कक्षाओं के लिए पर्यावरण अध्ययन को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाने लगा।

पर्यावरण अध्ययन को एकीकृत करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • NCF 2005 में यह माना गया कि बच्चा किसी चीज़ को सीखने के लिए टुकड़े टुकड़े में सीखने में उसको काफी दिक्कत महसूस होती है और वह चीजों को संपूर्णता से सीखने में आसानी से चीजों को समझता है। इसलिए बच्चों को टुकड़े टुकड़े के रूप में विषय को न पढ़ाकर संपूर्णता पर बल दिया गया। जैसे कि बच्चा पेड़ को एक संपूर्ण पेड़ जैसे कि बच्चा पेड़ को एक संपूर्ण पेड़ के रूप में पहचान ता है। वह पेड़ को घर पर या पेड़ को बाहर इसी रूप में पहचान ता है। वह पेड़ को मूर्त रूप में देखता है और उसी रूप में अनुभव करता है। साथ ही वह अमूर्त रूप से उसके बारे में सीखता है। परन्तु अगर इसको किताबों में। रखने पर बल दिया जाए कि पेड़ पर कितनी .. रखने पर बल दिया जाए कि पेड़ पर कितनी पत्तियाँ होती है। पेड़ पर इतने फल होते हैं तो चीजों को नहीं समझ पाएगा। लेकिन अगर उसके सामने शाश्वत पेड़ को प्रस्तुत कर दिया जाए तो उसको चीजों को समझने में आसानी होती है और बच्चे का इससे विकास भी तेजी से होता है और बच्चा चीजों को मूर्त से अमूर्त रूप से समझने लगता है।

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